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छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...

छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...
एक नाई, एक मोची, एक लुहार था...
छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बड़ा दिलदार था...
कही भी रोटी खा लेते, हर घर मे
भोजऩ तैयार था....

बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे जिसके
आगे शाही पनीर बेकार था...
दो मिऩट की मैगी ना, झटपट दलिया तैयार था....
नीम की निम्बोली और शहतुत
सदाबहार था....
छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था....

अपना घड़ा कस के बजा लेते
समारू पूरा संगीतकार था....
मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते, साबुन और
स्विमिंग पूल बेकार था...
और फिर कबड्डी खेल लेते, हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था....

दादी की कहानी सुन लेते,कहाँ
टेलीविज़न और अखबार था....
भाई -भाई को देख के खुश था, सभी लोगों मे बहुत प्यार था....
छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...!!

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तुम नहीं समझोगे..!!

कैसा लगता है जब तुम कहते हो कि "तुम बस रहने दो?" तुम्हे बताऊँ...खैर रहने दो क्योंकि तुम नहीं समझोगे.. तुम नहीं समझोगे कि क्यों हम बात नहीं कर पाते, तुम नहीं समझोगे कि आखिर क्यों हम मुलाकात नहीं कर पाते... तुमने बस अपनी ही बातें करनी होती हैं मुझसे, मुझे क्या कहना है कभी तो पूछ भी लो मुझसे... मैं भी अपनी बातें बताउंगी तुम्हे...उतने ही प्यार से..वैसे ही अहसास से... मैं चाहती हूं कि बैठूं तुम्हारे पास...अपने कांपते हाथों में लेकर तुम्हारा हाथ... मगर दिल सिसक सा जाता है ऐसे ही अचानक...अमूमन... मेरे जहन में आता है कि कह दूँ तुमसे...लेकिन "तुम नहीं समझोगे" (हितेश सोनगरा)

मैं शून्य पे सवार हूँ

जाकिर खान साहब की कविता : मैं शून्य पे सवार हूँ बेअदब सा मैं खुमार हूँ अब मुश्किलों से क्या डरूं मैं खुद कहर हज़ार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ उंच-नीच से परे मजाल आँख में भरे मैं लड़ रहा हूँ रात से मशाल हाथ में लिए न सूर्य मेरे साथ है तो क्या नयी ये बात है वो शाम होता ढल गया वो रात से था डर गया मैं जुगनुओं का यार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ भावनाएं मर चुकीं संवेदनाएं खत्म हैं अब दर्द से क्या डरूं ज़िन्दगी ही ज़ख्म है मैं बीच रह की मात हूँ बेजान-स्याह रात हूँ मैं काली का श्रृंगार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ हूँ राम का सा तेज मैं लंकापति सा ज्ञान हूँ किस की करूं आराधना सब से जो मैं महान हूँ ब्रह्माण्ड का मैं सार हूँ मैं जल-प्रवाह निहार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ