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Showing posts from December, 2017

मैं शून्य पे सवार हूँ

जाकिर खान साहब की कविता : मैं शून्य पे सवार हूँ बेअदब सा मैं खुमार हूँ अब मुश्किलों से क्या डरूं मैं खुद कहर हज़ार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ उंच-नीच से परे मजाल आँख में भरे मैं लड़ रहा हूँ रात से मशाल हाथ में लिए न सूर्य मेरे साथ है तो क्या नयी ये बात है वो शाम होता ढल गया वो रात से था डर गया मैं जुगनुओं का यार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ भावनाएं मर चुकीं संवेदनाएं खत्म हैं अब दर्द से क्या डरूं ज़िन्दगी ही ज़ख्म है मैं बीच रह की मात हूँ बेजान-स्याह रात हूँ मैं काली का श्रृंगार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ हूँ राम का सा तेज मैं लंकापति सा ज्ञान हूँ किस की करूं आराधना सब से जो मैं महान हूँ ब्रह्माण्ड का मैं सार हूँ मैं जल-प्रवाह निहार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ मैं शून्य पे सवार हूँ

Tumhe yaad to aati hogi naa....

Jab kali rat me meri kmi mahsus hoti hogi, Tab tumhe meri yaad to aati hogi naa!! Jab apne hontho par mera naam ata hoga, Tab tumhe meri yaad to aati hogi naa!! Tumhe meri yaad to aati hogi naa, Jab koi tumhe khulkar hnsata hoga... Jab kisi couple ko bike par jate hue dekhti hogi, Tab tumhe meri yaad to aati hogi naa!! Wo mera tumhare kndhe par sir rkh dena, Or tumhara mere sine par so jana... Jab bhi ye pal tanhai me satate honge, Tab tumhe meri yaad to aati hogi naa!! Meri nangi ungliya jab tumhari pith par firati thi, Hontho se honth ko bde pyar se milati thi... Wo siskiyan jo nind ko udati thi... Unhe yaad karke Tumhe meri yaad to aati hogi naa!! Pyar kya hai ye tumne sikhaya hai, Is sunder ahsas Ko mujhme bithaya hai.. Kasam hai tumhe meri sach kahna jaan, Aaj bhi akele me tumhari aah to nikal jati hogi naa.... Tum bhi mujhe bahut pyar karti ho naa, Beta tumhe meri yaad to aati hogi naa!!

शिद्दत

मुझे इतनी शिद्दत से मोहब्बत सिखाने वाले, एक बार यह भी सिखा देता कि इसे भुलाते कैसे हैं?

आज हम साथ नहीं हैं क्या ??

तो क्या हुआ जो हम साथ ना हो सके, हमारा सपना पूरा ना हो सका, क्या हुआ जो तुम मेरी ना हो सकी और मैं तुम्हारा ना हो सका.. कल तुम्हारी शादी भी हो जाएगी और तुम नए घर जाओगे किसी की अमानत बनकर, उसका क्या कसूर है, जो तुम उसे मिलोगी उसकी जिन्दगी में एक खुबसूरत क़यामत बनकर.. एक बात ध्यान रहे...उसके साथ तुम खुश रहना, जो बाते मुझसे कहने में तुम हिचकिचाई, वे सारी बाते तुम उससे कहना... अब मैं एक किनारा हो गया हूँ और वो है समुन्दर तुम्हारा, अब से तुम उसकी धार में ही बहना... मुझे अब तुमसे रत्ती भर का भी गिला नहीं है, क्योंकि मैं जानता हूँ कि तुमने अपना प्यार पूरी शिद्दत से निभाया है, हम एक ना हो सके ये किस्मत का कसूर है, तुमने तो मिलने के लिए अपना पूरा जोर लगाया है.. अब मेरी फ़िक्र ना करना तुम, मैं तुम्हे गमो के समुंदर में भी हमेशा मुस्कुराता मिलूँगा, जीतने भी गम है हमारे हरे भरे, मैं मुस्कुराते हुए उन्हें ख़ुशी से सिलूँगा... मुझे बस चाहिए तुमसे एक ही वादा, कि तुम हमेशा खुश और मुस्कुराते रहना, अपने हर गम को भुलाके, अपने नए साजन के साथ ख़ुशी से जीना... वो सारे ख्...

क्या लिखू...??

क्या लिखू...?? क्या लिखू उसके बारे में कि वो चाहत है मेरी, वो इबादत है मेरी.. वही तो एक है जो दुआ में भी शामिल है और साथ ही इनायत है मेरी.. क्या लिखू कि उसके होने से एक अलग सा अहसास होता है... और वो पास न हो तो जैसे हर एक लम्हा उदास होता है.. वो हमेशा कहती है मुझसे कि तुम नहीं करते हो मेरी परवाह, तुम्हे नहीं है मुझसे प्यार..!! अब क्या लिखू उसको लेकर कि वही है एक जिसे पाने के लिए में जिए जा रहा हूँ, इश्क़ में इस जुदाई के जहर को पिए जा रहा हूँ.. उसके ना होने के बारे में सोचूँ भी तो रूह काँप जाती है.. एक दर सा लगता है इस दिल में और पलके भीग जाती है.. उसके होने के अहसास भर से इस चेहरे पर मुस्कान बिखते रहती है.. और वो कहती है कि तुम्हे मेरी परवाह नहीं रहती है.. क्या लिखू कि वो जान है मेरी, इस सीने में उसके ही नाम की धड़कन बसी है.. पगली है वो ये भी नहीं जानती है कि कितने खूबसूरत है वो पल जिनमे वो मेरे साथ हँसी है.. उसकी एक मुस्कान के लिए तो मैं इस दुनिया से लड़ जाने का हौसला रखता हूँ.. प्यार बहुत करता हूँ उससे लेकिन ना जाने क्यों हमेशा इसे जताने से डरता हूँ.. आँखों में हमेशा रहता है उसका ही इन...

उसे देखता हुँ तो लगता है बस देखता ही रहूँ

उसे देखता हुँ तो लगता है बस देखता ही रहूँ, कुछ तो अजीब बात उसके चेहरे में आज भी है...!! पास जाने से आज भी वैसे ही घबराता है दिल, कि जैसे लगता है पहली मुलाकात का वो खुमार आज भी है...!! उसके होने से ये अहसास होता है कि कोई अपना है, उसकी बाहों मे बीत जाए ये जिन्द्गी बस एक यही छोटा सा सपना है..!! उसके वादो का, उसकी बातों का, उसकी यादो का दिदार आज भी है, उसके चेहरे पर आज भी है वही नूर, और मेरी आंखो मे वो इन्तेजार आज भी है..!!

क्या करू वो है ही इतनी अच्छी सी...

सीधी साधी है वो एक बच्ची सी, क्या करू वो है ही इतनी अच्छी सी, मुझे कहती है I Love You, और उसकी हर बात मुझे लगती है सच्ची सी... क्या करू वो है ही इतनी अच्छी सी.... उसके बालो को देखकर लहराना अच्छा लगता है तो आँखों में डूब जाने का मन होता है, होंठो की गुलाबी पंखुड़ियों को चूमकर गालो को सहलाने का मन होता है... ऊँगली को गाल से कान के पीछे और फिर गले तक लाऊ तो हो जाती है सहमी सी, सिमट जाती है मुझमे और थाम लेता हूँ मैं उसे, क्या करूँ वो है ही इतनी अच्छी सी... कमर के साथ ऊँगली का खेल, कभी खत्म नहीं होता उसके साथ, और अचानक ही पीठ पर पहुँच जाते है अपना नाम कुरेदते हुए हाथ.... फिर वह लगाती है अंदाजा और उसके मुंह से हल्की सिसकियों में सुनता हूँ अपना नाम, उसकी जुबान पर अपने नाम को सुनना, फीलिंग्स है बडी अच्छी सी... और फिर वही कहूंगा, क्या करू वो है ही इतनी अच्छी सी... थोड़ी अच्छी सी, थोड़ी बच्ची सी और थोड़ी कच्ची सी, लेकिन जब बाँहों में सिमट जाती है तो लगती है सबसे सच्ची सी.... क्या करू वो है ही इतनी अच्छी सी...

मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर खड़ा रहूँगा तेरे साथ

मैं जिन्दगी के हर मोड़ पर खड़ा रहूँगा तेरे साथ, तू एक बार चलने की हिम्मत तो कर..!! मिलेगी मंजिल भी तुझे एक दिन मेरे यार, तू बस एक बार फिर उसे पाने की कोशिश तो कर..!!