Skip to main content

Posts

Showing posts from May, 2016

छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...

छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था... एक नाई, एक मोची, एक लुहार था... छोटे छोटे घर थे, हर आदमी बड़ा दिलदार था... कही भी रोटी खा लेते, हर घर मे भोजऩ तैयार था.... बाड़ी की सब्जी मजे से खाते थे जिसके आगे शाही पनीर बेकार था... दो मिऩट की मैगी ना, झटपट दलिया तैयार था.... नीम की निम्बोली और शहतुत सदाबहार था.... छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था... . अपना घड़ा कस के बजा लेते समारू पूरा संगीतकार था.... मुल्तानी माटी से तालाब में नहा लेते, साबुन और स्विमिंग पूल बेकार था... और फिर कबड्डी खेल लेते, हमे कहाँ क्रिकेट का खुमार था.... दादी की कहानी सुन लेते,कहाँ टेलीविज़न और अखबार था.... भाई -भाई को देख के खुश था, सभी लोगों मे बहुत प्यार था.... छोटा सा गाँव मेरा पूरा बिग बाजार था...!!

ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना …

ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना वो अपने बाल खुद न काढ पाना पी टी शूज को चाक से चमकाना वो काले जूतों को पैंट से पोछते जाना ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … वो बड़े नाखुनो को दांतों से चबाना और लेट आने पे मैदान का चक्कर लगाना वो प्रेयर के समय क्लास में ही रुक जाना पकडे जाने पे पेट दर्द का बहाना बनाना ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … वो टिन के डिब्बे को फ़ुटबाल बनाना ठोकर मार मार उसे घर तक ले जाना साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … गुस्से में एक-दूसरे की कमीज पे स्याही छिड़काना वो लीक करते पेन को बालो से पोछते जाना बाथरूम में सुतली बम पे अगरबती लगा छुपाना और उसके फटने पे कितना मासूम बन जाना ऐ मेरे स्कूल मुझे जरा फिर से तो बुलाना … वो गेम्स पीरियड के लिए सर को पटाना यूनिट टेस्ट को टालने के लिए उनसे गिडगिडाना जाड़ो में बाहर धूप में क्लास लगवाना और उनसे घर-परिवार के किस्स...

माँ तो माँ होती है...!!

ये दुनिया है तेज़ धूप, पर वो तो बस छाँव होती हैं | स्नेह से सजी, ममता से भरी, माँ तो बस माँ होती हैं || हम बच्चों पर बचपन ही से वो लाड-प्यार बरसाती हैं, पापा जब गुस्सा करते हैं तो वो उनसे भी लड़ जाती हैं | चैन से हम सो जाते हैं जब वो पास हमारे होती हैं, स्नेह से सजी, ममता से भरी, माँ तो बस माँ होती हैं || हम सब जब कुछ गलत करें तो वो प्यार से बहुत समझाती हैं, तब भी गर हम ना सुधरें तो वो कस के रपट लगाती हैं | खुद ही मार देने पर वो कोने में जा कर कितना रोती हैं, स्नेह से सजी, ममता से भरी, माँ तो बस माँ होती हैं || माँ से बढ़कर कोई नहीं है इस सारे संसार में, फिर भी हम उनसे दूर हैं होते, एक धोखे से प्यार में | इतने पर भी माँ के चेहरे पर मुस्कान और दुआएं होती हैं, स्नेह से सजी, ममता से भरी, माँ तो बस माँ होती हैं || ये दुनिया है तेज़ धूप, पर वो तो बस छाँव होती हैं | स्नेह से सजी, ममता से भरी, माँ तो बस माँ होती हैं ||

देखता हू जिन्दगी में, खोल कर वो खिडकिया.....

देखता हू जिन्दगी में, खोल कर वो खिडकिया | आंसू के परदे हटाकर, छोड़ कर वो सिसकियाँ | बस तू नजर आती है, दूर तक आसमान में | एक तुमसे भी हमने, प्यार कुछ ऐसा किया | भूल जाता हू सारे दर्द, खुद की रुसवाई के | खुल जाते हे दरवाजे, बंद थे जो तन्हाई के | जिन्दगी तलक अब, तेरे दिल में रहना है | एक जहाँ अपना भी होगा, उसमे गाँव गलिया बस्तिया | आंसू के परदे हटाकर, छोड़ कर वो सिसकियाँ | उस चमचमाती रात ने, सुकूं कभी दिया नहीं | अँधेरे के आशियाने ने, हमसे कुछ लिया नही | देखता रहा में बस, उस छोर से इस दौर तक | जिद से लड़ते लड़ते, मिट गयी वो हस्तियाँ | आंसू के परदे हटाकर, छोड़ कर वो सिसकियाँ | प्यार के समन्दर हँसी हे, आगोश में आते हे लोग | इश्क की लहरों में दबकर, जाने क्या कर जाते हे लोग | मुझको हे उम्मीद तुझसे, छुटे ना दामन कभी | तूफा के बिच से भी एक दिन, पार होगी किश्तियाँ | आंसू के परदे हटाकर, छोड़ कर वो सिसकियाँ |