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Showing posts from January, 2017

मकर संक्रांति स्पेशल

आसमान का मौसम बदला बिखर गई चहुँओर पतंग। इंद्रधनुष जैसी सतरंगी नील गगन की मोर पतंग।। मुक्त भाव से उड़ती ऊपर लगती है चितचोर पतंग। बाग तोड़कर, नील गगन में करती है घुड़दौड़ पतंग।। पटियल, मंगियल और तिरंगा चप, लट्‍ठा, त्रिकोण पतंग। दुबली-पतली सी काया पर लेती सबसे होड़ पतंग।। कटी डोर, उड़ चली गगन में बंधन सारे तोड़ पतंग। लहराती-बलखाती जाती कहाँ न जाने छोर पतंग।।  

गहरी बात..!!

बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में। उसी दहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।। सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूरत के आगे। बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है।। लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार। पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।। वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए। घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई को बदलते देखा है।। सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को। आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।। जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन। आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है।। जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी। आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है।। दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था  जिस बेटी को जबरन बाप ने। आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है।। मारा गया वो पंडित बे मौत सड़क दुर्घटना में यारो। जिसे खुद को काल, सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।। जिसे घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों। आज उसी ...

हरिवंशराय बच्चन की एक सुंदर कविता...!!

खवाहिश  नही  मुझे  मशहूर  होने  की। आप  मुझे  पहचानते  हो  बस  इतना  ही  काफी  है।  अच्छे  ने  अच्छा  और  बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे। क्यों  कि  जिसकी  जितनी  जरुरत  थी  उसने  उतना  ही  पहचाना  मुझे। ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  भी   कितना  अजीब  है,  शामें  कटती  नहीं,  और  साल  गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!! एक  अजीब  सी  दौड़  है  ये  ज़िन्दगी,  जीत  जाओ  तो  कई  अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं, और  हार  जाओ  तो  अपने  ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं। बैठ जाता हूं मिट्टी पे अक्सर... क्योंकि मुझे अपनी औकात अच्छी लगती है.. मैंने समंदर से सीखा है जीने का सलीक़ा, चुपचाप से बहना और अपनी मौज में रहना।। ऐसा नहीं है कि मुझमें कोई ऐब ...

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तूँ मेरे गांव को गँवार कहता है..!!

तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तूँ मेरे गांव को गँवार कहता है। ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तूँ बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है। थक गया है हर शख़्स काम करते करते, तूँ इसे अमीरी का बाज़ार कहता है। गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास, तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है। मौन होकर फोन पर सारे रिश्ते निभाए जा रहे हैं, तूँ इस मशीनी दौर को परिवार कहता है। वो मिलने आते थे कलेजा साथ लाते थे, तूँ दस्तूर निभाने को रिस्तेदार कहता है। बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायते, अंधी भ्रस्ट दलीलों को दरबार कहता है। अब बच्चे तो बड़ों का अदब भूल बैठे हैं, तूँ इसे नये दौर का संस्कार कहता है।

वर्ष 2017 के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्वपूर्ण दिवस

1. लुईस ब्रेल दिवस – 4 जनवरी 2. विश्व हास्य दिवस – 10 जनवरी 3. राष्ट्रिय युवा दिवस – 12 जनवरी 4. थल सेना दिवस – 15 जनवरी 5. कुष्ठ निवारण दिवस – 30 जनवरी 6. भारत पर्यटन दिवस – 25 जनवरी 7. गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी 8. अंतर्राष्ट्रीय सीमा शुल्क एवं उत्पाद दिवस – 26 जनवरी 9. सर्वोदय दिवस – 30 जनवरी 10. शहीद दिवस – 30 जनवरी 11. विश्व कैंसर दिवस – 4 जनवरी 12. गुलाब दिवस – 12 फरवरी 13. वेलेंटाइन दिवस – 14 फरवरी 14. अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस – 21 फरवरी 15. केन्द्रीय उत्पाद शुल्क दिवस – 24 फरवरी 16. राष्ट्रिय विज्ञानं दिवस – 28 फरवरी 17. राष्ट्रिय सुरक्षा दिवस – 4 मार्च 18. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस – 8 मार्च 19. के०औ०सु० बल की स्थापना दिवस – 12 मार्च 20. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस – 15 मार्च 21. आयुध निर्माण दिवस – 18 मार्च 22. विश्व वानिकी दिवस – 21 मार्च 23. विश्व जल दिवस – 22 मार्च 24. भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के शहीद दिवस – 23 दिवस 25. विश्व ...

यकीन मानिए ये 35 लाइनें छू लेंगी आपके दिल को

1. क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं। 2. ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं । 3. कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं ।  4. इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म । 5. सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा लेकिन  धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा। 6. हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा । 7. खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो । 8. अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही । 9. इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही,अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं । 10. जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं । 11. हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो । 12. दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने,कि लोग क...

जाने क्यूं अब शर्म से, चेहरे गुलाब नही होते

"जाने क्यूं अब शर्म से,  चेहरे गुलाब नही होते। जाने क्यूं अब मस्त मौला मिजाज नही होते। पहले बता दिया करते थे, दिल की बातें। जाने क्यूं अब चेहरे,  खुली किताब नही होते। सुना है बिन कहे  दिल की बात  समझ लेते थे। गले लगते ही दोस्त हालात  समझ लेते थे। तब ना फेस बुक  ना स्मार्ट मोबाइल था ना फेसबुक ना ट्विटर अकाउंट था एक चिट्टी से ही दिलों के जज्बात  समझ लेते थे। सोचता हूं हम कहां से कहां आ गये, प्रेक्टीकली सोचते सोचते भावनाओं को खा गये। अब भाई भाई से समस्या का समाधान  कहां पूछता है अब बेटा बाप से उलझनों का निदान  कहां पूछता है बेटी नही पूछती मां से गृहस्थी के सलीके अब कौन गुरु के  चरणों में बैठकर ज्ञान की परिभाषा सीखे। परियों की बातें अब किसे भाती है अपनो की याद अब किसे रुलाती है अब कौन  गरीब को सखा बताता है अब कहां  कृष्ण सुदामा को गले लगाता है जिन्दगी मे हम प्रेक्टिकल हो गये है मशीन बन गये है सब इंसान जाने कहां खो गये है! इंसान जाने कहां खो गये है....!