काफी है.... तेरा ऐसे ही आ जाना और तेरा यूं ही चला जाना... तेरा ऐसे ही शरमाना और यूं ही रूठकर बस रह जाना... काफी है... तेरा एक दीदार पाने को तेरे घर का चक्कर लगाना... और तेरा अपने घर की खिड़की से यूं चुपके से झांक जाना... काफी है... तेरा बेवजह मुझे यूं अपना प्यार बताना और... मेरा नासमझ की तरह उसे ना समझ पाना... लेकिन... क्या काफी है तेरा इस कदर रूठ जाना... और फिर कभी पलटकर ना देखने का हठ कर जाना... क्या....? काफी है...? # hiteshsongara