तुम्हारे लिए मैं ताज ना बनवा पाऊं शायद, लेकिन घर बनाना मुझे आता है... मुझे नहीं आता कैसे बनाते है 56 भोग, पर चाय बनाना मुझे आता है.... हो सकता है महंगी कार में घुमने का सपना शायद सपना ही रह जाए तुम्हारा... लेकिन यकीन रखना मुझपर तुम्हे कभी पैदल ना चलने देना मुझे आता है.... जब गर्मी सताएगी तो शायद एसी की ठंडी हवा ना मिल पाएगी तुम्हे... लेकिन तुम्हे अपने प्यार की छाँव में हमेशा रखना मुझे आता है... हो सकता है हमारे सपनों का आशियाँ चमकते हुई दीवारों से न बना हो... पर जो भी हो उसे खुशियों से भरना और स्वर्ग से सुंदर बनाना मुझे आता है.... मैं वादा करता हूं जिन्दगी के हर मोड़ पर लड़ता भी रहूँगा तुमसे... लेकिन फिर तुम्हारे सामने काम पकड़कर उसी मासूमियत से तुम्हे मनाना भी मुझे आता है... बस मुझे नहीं आता तो तुम्हारे बिना रहना और सांसे लेते रहना... हाँ मुझे नहीं आता तुम्हारे बिना हर सुबह का सपना देखना... ये कहने में शर्म नहीं है आज मुझे कि नहीं आता मुझे... मुझे नहीं आता खुश रहना बिन तुम्हारे....नहीं आता