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Showing posts from June, 2017

गांव शहर नहीं, किसान का घर जल रहा है

गांव शहर नहीं, किसान का घर जल रहा है........ ऊँची उठती लपटों को देखकर, लोगो के आंदोलनकारी शोर को सुनकर . किसी ने कहा गांव जल रहा है, किसी ने कहा शहर जल रहा है . पर जब नजदीक जाकर, मन की आँखों से देखा तो पता चला . न गांव जल रहा है न शहर जल रहा है, वहा किसी गरीब का घर जल रहा है . ऐसी लपटों में की वह बुझा नहीं सकता, चाहकर भी . वह बैठा है घर के किसी कोने में हारकर ही . उसके बच्चे भूख से तिलमिला रहे थे, खाने को गिड़ गिड़ा रहे थे. पर वह उनके लिए कुछ नहीं कर सकता था, उसकी दुनिया बेहाल थी . उसकी मजदूरी बंद पड़ी थी, क्योकि आज किसानो की हड़ताल थी . उसका घर चलता है सिर्फ, एक दिन की कमाई से . उसकी बूढी माँ जिन्दा है, दो घूट दवाई से . पर अब बंद हो गयी है, उसकी हर रोज की कमाई . कैसे लाएगा वह, अपनी माँ की दवाई. शायद वह अपनी बूढी गाय का दूध बेचकर, घर चलाता है . छोटे से खेत में सब्जी उगाकर, परिवार की भूख मिटाता है . हर रोज उसका गुजारा, बस यही तो था. क्योकि वह गरीब, एक किसान ही तो था . किन्तु आज उसकी सब्जी को फेंक दी गयी, दूध को सड़को पर बहा दिया गया. उसे दूध और सब्जी, नहीं बेचने को कहा गय...

वो किसान कैसे यह सब कर सकता है?

जो #किसान खेत में टिटहरी के अण्डे नजर आने पर उतनी जगह की जोत छोड़ देता है वो यात्रियों से भरी बस के काँच कैसे फोड़ देता है ? जो किसान खड़ी फसल में चिड़िया के अंडे/चूजे देख उतनी फसल नहीं काटता है वो किसी की सम्पत्ति कैसे लूट सकता है ? जो किसान पिंडाड़े में लगी आग में कूदकर बिल्ली के बच्चे बचा लेता है वो किसी के घर में आग कैसे लगा देता है ? जो किसान दूध की एक बूंद भी जमीन पर गिर जाने से उसे पोंछकर माथे पर लगा लेता है वो उस अमृत को सड़कों पर कैसे बहा देता है ? जो किसान गाड़ी का हॉर्न बजने पर सड़क छोड़ खड़ा हो जाता है वो कैसे किसी का रास्ता रोक सकता है ? जो किसान चींटी को अंडा ले जाते चिड़िया को धूल नहाते देख बता सकता है कि कब पानी आएगा वो कैसे किसी के बहकावे में आयेगा ? ये दुखद घड़ी क्यों आई कुछ तो चूक हुई है कुछ पुरुस्कार में फूल गए नदी से संवाद करने वाले किसानों से #संवाद करना भूल गए जो किसान अपनी फसल की रखवाली के लिए खुले आसमान के नीचे आंधी तूफान हिंसक जानवर से नहीं डरता वो बन्दूक की गोली से नहीं मीठी बोली से मानेगा एक बार उसके अन्दर का दर...