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Showing posts from November, 2018

पगली लड़की मेरे साथ रहने को लड़ती है

अक्सर उसके मुंह से एक बात सुनाई देती है, उसके चेहरे पर हंसी में छुपी एक बात दिखाई देती है. वो नाराज भी है मुझसे और प्यार भी करती है, रूठती भी है मुझसे और मुझे मनाने को भी तरसती है. कई बार समय का हवाला देती है और खुद ही उनमें उलझी रहती है, खुद ही फिर संभालती भी है और खुद ही फिर बिगड़ती है. नाराजगी फिर भी वैसी ही रहती है और मनाने को भी तरसती है. चेहरा भी दिखाती है अपना मुझे और छुपाकर भी रखती है, कुछ कहती है फिर चुप रहती है और फिर बिन कहे बहुत कुछ कह देती है. मेरे साथ चार कदम चलने से भी मना करती है, और फिर जीवन भर साथ रहने का दावा करती है. उसकी हंसी उसकी ख़ुशी और उसकी मुस्कान बहुत कुछ कहती है. साथ देने का वादा भी मुझसे करती है और पगली लड़की मेरे साथ रहने को भी लड़ती हैं. 

अब नींद की तलाश नहीं...!!

मुझे अब नींद की तलाश नहीं,  अब रातों को जागना अच्छा लगता है.  मुझे नहीं मालूम की वो मेरी किस्मत में है या नहीं, मगर खुदा से उसे मांगना अच्छा लगता है. जाने मुझे हक़ है या नहीं,  पर उसकी परवाह करना अच्छा लगता है.  उसे प्यार करना सही है या नहीं, पर इस अहसास को जीना अच्छा लगता है. कभी हम साथ होंगे या नहीं, पर ये ख्वाब देखना अच्छा लगता है. वो मेरा है या नहीं, पर उसे अपना कहना अच्छा लगता है. दिल को बहलाऊ बहुत पर मानता ही नहीं, शायद इसे भी उसके लिए धड़कना अच्छा लगता है.